ये बादल क्यूँ यूँ आवारा फिरते है? क्या इनका कभी, कहीं
ठहरने का मन नहीं करता? कोई घर नहीं जंचता इन्हें अपने लिए
किसी पहाड़ की कन्दरा में कुछ दिन रुक कर या किसी आंचल
की छाँव में ठहर ,अंतहीन सफर की थकान मिटाने की इच्छा नहीं जगी ?
शायद ये इच्छा तो जरुर जागी होगी इन के मन में , लेकिन
पता भी है अपनी मज़बूरी का , के कहीं पर अधिक ठहरने की
इजाजत नहीं है ,मोह के बन्धन बाँध कर अपने कर्म का निर्वाह
करना कितना मुश्किल होगा ,ये समझ आता है शायद इन को
अपने अरमानों की लाश उठाये ये निरंतर चलते रहते होगें
ताकि किसी के सूखते अरमानों को अपनी नमी से सींच सके
"आवारा बादल" कह कर कोई भी ना करे अपमान इनका
ये तो कर्म योगी है जो खुद को तप की अग्नि में तपा कर,सब के जीवन
में प्राणों का संचार करते है ,खुद को मिटा, हम सब का उद्धार करते है
ठहरने का मन नहीं करता? कोई घर नहीं जंचता इन्हें अपने लिए
किसी पहाड़ की कन्दरा में कुछ दिन रुक कर या किसी आंचल
की छाँव में ठहर ,अंतहीन सफर की थकान मिटाने की इच्छा नहीं जगी ?
शायद ये इच्छा तो जरुर जागी होगी इन के मन में , लेकिन
पता भी है अपनी मज़बूरी का , के कहीं पर अधिक ठहरने की
इजाजत नहीं है ,मोह के बन्धन बाँध कर अपने कर्म का निर्वाह
करना कितना मुश्किल होगा ,ये समझ आता है शायद इन को
अपने अरमानों की लाश उठाये ये निरंतर चलते रहते होगें
ताकि किसी के सूखते अरमानों को अपनी नमी से सींच सके
"आवारा बादल" कह कर कोई भी ना करे अपमान इनका
ये तो कर्म योगी है जो खुद को तप की अग्नि में तपा कर,सब के जीवन
में प्राणों का संचार करते है ,खुद को मिटा, हम सब का उद्धार करते है
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteये तो कर्म योगी है
ReplyDeleteजो खुद को तप की अग्नि में तपा कर,
सब के जीवन में प्राणों का संचार करते है ,
खुद को मिटा,हम सब का उद्धार करते है.
बहुत सुंदर भाव.
बहुत सुन्दर अवंती जी....
ReplyDeleteबादलों का रूप कर्मयोगी बहुत अच्छा लगा ..सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
.
ReplyDeleteअवंती जी
सुंदर कविता !
'आवारा बादल' कह कर कोई भी ना करे अपमान इनका
ये तो कर्म योगी है जो खुद को तप की अग्नि में तपा कर,सब के जीवन
में प्राणों का संचार करते है , खुद को मिटा , हम सब का उद्धार करते है
भावपूर्ण कविताओं के लिए आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
samvaad rupi abhivyakti bahut acchhi lagi.
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