हर सुबह हर शाम तुम को ढूंढा है
हमने, उम्र तमाम तुम को ढूंढा है
हर शहर की ख़ाक छान मारी है
कभी छुप के ,कभी सरे आम तुम को ढूंढा है
हर फूल,हर कली ,को बताया है हुलिया तुम्हारा
चेहरे का हर एक निशाँ ,करके ब्यान ,तुम को ढूंढा है
छुपे हो जरुर तुम किसी और लोक में, वरना तो
ज़मी सारी छानी ,फिर आसमान पे, तुम को ढूंढा है
हमने, उम्र तमाम तुम को ढूंढा है
हर शहर की ख़ाक छान मारी है
कभी छुप के ,कभी सरे आम तुम को ढूंढा है
हर फूल,हर कली ,को बताया है हुलिया तुम्हारा
चेहरे का हर एक निशाँ ,करके ब्यान ,तुम को ढूंढा है
छुपे हो जरुर तुम किसी और लोक में, वरना तो
ज़मी सारी छानी ,फिर आसमान पे, तुम को ढूंढा है
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteहम उन्हें शहर की
ReplyDeleteगलियों में ढूंढ रहे थे
वो हमारे घर में बैठे
इंतज़ार कर रहे थे