करके अहसान किसी पर, अगर जता भी दिया
तो फिर वो अहसान कैसा, किया, किया, ना किया
रहो खामोश, अगर दर्द किसी का बांटो
करोगे चर्चे तो फिर गम हल्का,किया,किया ना किया
तजुर्बे, जिन्दगी की राह में गर काम ना आये
तो फिर वो खाक तजुर्बा था,किया, किया, ना किया
तुम्हारी हसरतों पर गर पकड रही ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया, ना जिया
किसी की आँख के आंसू , अगर तुम पौंछ ना पाए
सजदे में सर खुदा के , दिया, दिया, ना दिया
सफाई दिल की कालिख की अगर तुम कर नहीं पाए
स्नान गंगा में जाकर, किया, किया, ना किया
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
पुकारे जब भी धरती माँ, तो उठ चलना हुंकार के
कहेगी वरना ये धरा, जन्म इस ने लिया,लिया,ना लिया
तो फिर वो अहसान कैसा, किया, किया, ना किया
रहो खामोश, अगर दर्द किसी का बांटो
करोगे चर्चे तो फिर गम हल्का,किया,किया ना किया
तजुर्बे, जिन्दगी की राह में गर काम ना आये
तो फिर वो खाक तजुर्बा था,किया, किया, ना किया
तुम्हारी हसरतों पर गर पकड रही ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया, ना जिया
किसी की आँख के आंसू , अगर तुम पौंछ ना पाए
सजदे में सर खुदा के , दिया, दिया, ना दिया
सफाई दिल की कालिख की अगर तुम कर नहीं पाए
स्नान गंगा में जाकर, किया, किया, ना किया
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
पुकारे जब भी धरती माँ, तो उठ चलना हुंकार के
कहेगी वरना ये धरा, जन्म इस ने लिया,लिया,ना लिया
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
ReplyDeleteसलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
sundar panktiyaan
excellent.....
ReplyDeletevery very nice poem...
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया
too good.
कुछ अलग सा लगा.....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर रचना ..!
ReplyDeleteतजुर्बे, जिन्दगी की राह में गर काम ना आये
ReplyDeleteतो फिर वो खाक तजुर्बा था,किया, किया, ना किया
तुम्हारी हसरतों पर गर पकड रही ना तुम्हारी
जिया तो जीवन तुम ने,मगर जिया, जिया, ना जिया
...वाह बहुत ख़ूब!
सच वह ज्ञान वह तजुर्बा किस काम का जो किसी के काम नहीं आये...और वह जिंदगी क्या जिंदगी जिसमें अपनी खुद की पकड़ न रही हो... ....
बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना..
वाह!
ReplyDeleteखास तौर पर ये कि:-
तुम्हारे घर में ही गर तुम पे उठ रही है उंगलियाँ
सलाम दुनिया ने तुम को, किया, किया, ना किया