वो मुझे कह रहे है बार-२, के तुम चले गए हो
मैं उन्हें झिड़क देती हूँ पागल और नादान कह कर
अगर तुम चले गए होते मुझ से दूर कहीं
तो मेरी पलकें झपकना ना भूल जाती
बंद ना हो गयी होती मेरी आँखों की हलचल?
मेरे होठों की गुलाबी रंगत पर गम की स्याही
ने कब्ज़ा ना कर लिया होता अब तक ?
दिल धडकने से मना ना कर चुका होता
साँसें थम के खड़ी ना हो गयी होती
तुम्हारे जाने की गवाही देने के लिए ?
ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ है ना ?
फिर कैसे सच मान लूँ मैं इन नादान फूलों की बात
मेरा होना ही सुबूत है तुम्हारे ना जाने का ......
(अवन्ती सिंह )
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteइन्तहा है ये तो मोहब्ब्त की...
सस्नेह.
shukriya vidya....
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
shukriya Yashwant ji...
Deleteबहुत सुन्दर तुम्हारी पंक्तियों ने मुझे अपनी ही कुछ पंक्तियाँ याद दिला दी
ReplyDelete"मैं तुझे ज़हर दूं तो शायद मैं ही मर जाऊं
तेरा होना ही मेरे होने का सबूत है"
waahh! bahut hi sundr panktiyaan hai ....agr ye koi kavita ki panktiyaan ho to plz padne ka mauka dijiyega....rachna pasnd karne ka aabhaar...
Deleteसुन्दर भाव बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteshukriya Reena ji....
Deleteमेरा होना ही सुबूत है तुम्हारे ना जाने का ......
ReplyDeletekya baat...mann ko chhu gayi aapki rachna..
Asha ji shukriya aap ka
Deleteबहुत खूब ....सुन्दर है पोस्ट|
ReplyDeleteImraan ji aap ka bhi dhanyawaad....
Deleteबहुत खूबसूरत, बधाई.
ReplyDeletedhanyawaad shukla ji....
Deleteमेरा होना ही सुबूत है तुम्हारे ना जाने का ......
ReplyDeletewaah!!!!!
shukriya Dr. saahb....
Deleteफूलदान में मुरझाने ही वाले है जो, वो फूल
ReplyDeleteवो मुझे कह रहे है बार-२, के तुम चले गए हो
मैं उन्हें झिड़क देती हूँ पागल और नादान कह कर
अगर तुम चले गए होते मुझ से दूर कहीं
तो मेरी पलकें झपकना ना भूल जाती
बंद ना हो गयी होती मेरी आँखों की हलचल?
बहुत सुन्दर पंक्तिया ! आपकी अन्य रचनाये भी पड़नी है!
shukriya Kanti ji....
Deleteफिर कैसे सच मान लूँ मैं इन नादान फूलों की बात
ReplyDeleteमेरा होना ही सुबूत है तुम्हारे ना जाने का ......
वाह ...जिंदगी को जीवंत करती पंक्तियाँ ....
shukriya anju ji....
Deleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteshukriya rupchandr ji....
Deleteमेरा होना ही सबूत तुम्हारे होने का ...
ReplyDeleteविश्वास की यह अभिव्यक्ति मन जुड़ा गयी !
विश्वास यूँ ही बना रहे , शुभकामनायें !
वाह!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव।
shukriya Atul ji....
Deleteक्या बात है..बहुत सुन्दर लिखा है ..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
shukriya ji....
Deleteसुन्दर भाव एवं अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteshukriya urmi ji....
Deleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/2012/02/777.html
चर्चा मंच-777-:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
shukriya dilbaag ji....
Deleteफूल जब तक भी रहते हैं, वातावरण को महकाकर रखते हैं...
ReplyDeleteshukriya prveen ji
Deletebahut hi nirale andaj me khoobsoorat rachana avanti ji ....badhai sweekaren.
ReplyDeleteshukriya naveen ji....
Deleteफूल तो बेचारे नादाँ ही होते है शायद..
ReplyDeleteलोग तो उनकी खुशबू भी चुरा लेते हैं |
ji haan theek kaha aap ne....shukriya...
Deleteमेरा होना ही सबूत है तुम्हारे न होने का.....
ReplyDeleteलजवाब........
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shukriya dinesh ji....
Deleteमेरा होना ही सुबूत है तुम्हारे ना जाने का ......
ReplyDelete...बहुत खूब ! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...