खुशियों के पल इंसान के जीवन में कम ही आते है
ये बहुत बार सुना था ,इसलिए जब भी खुशियाँ मिली
उनकी तस्वीर बना कर रख दी मैं ने .......
के जब ना रहेगी ये खुशियाँ तो इन की देख कर तस्वीरें
दिल को कुछ पल सुकून मिल जायेगा .....
खुशियाँ आती गयी ,जाती गयी,मैं तस्वीरें बनती गयी....
पर एक दिन जब निकाल कर देखा उन सब तस्वीरों को
तो मैं हैरान रह गयी ,मेरी आँखे तो उन तस्वीरों को देख
कर इस कद्र बहने लगी जैसे किसी पुराने बाँध में दरार
पड़ गयी हो , मैं कितनी नादाँ हूँ, गयी हुई खुशियाँ,
तस्वीर में कहाँ बांध कर रखी जा सकती है ,
वो तो और गहरा कर देती है ,उन खुशियों के गुज़र जाने
के अहसास को........
ये बहुत बार सुना था ,इसलिए जब भी खुशियाँ मिली
उनकी तस्वीर बना कर रख दी मैं ने .......
के जब ना रहेगी ये खुशियाँ तो इन की देख कर तस्वीरें
दिल को कुछ पल सुकून मिल जायेगा .....
खुशियाँ आती गयी ,जाती गयी,मैं तस्वीरें बनती गयी....
पर एक दिन जब निकाल कर देखा उन सब तस्वीरों को
तो मैं हैरान रह गयी ,मेरी आँखे तो उन तस्वीरों को देख
कर इस कद्र बहने लगी जैसे किसी पुराने बाँध में दरार
पड़ गयी हो , मैं कितनी नादाँ हूँ, गयी हुई खुशियाँ,
तस्वीर में कहाँ बांध कर रखी जा सकती है ,
वो तो और गहरा कर देती है ,उन खुशियों के गुज़र जाने
के अहसास को........
(अवन्ती सिंह )
bahut khoob...antim panktiyan gahan bhaav liye...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
खुशियों का स्वागत करो, जी-भर जी भरपूर ।
ReplyDeleteगाँठ बाँध रख न सकें, समय देव अति-क्रूर ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
बहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteखुशियों को कौन बाँध पाया है..
यादें ज़रूर रहती हैं...
यह तो सदा से होता आया है ......ख़ुशी की यादों ने अक्सर हमें रुलाया है
ReplyDeleteबीते हुए दर्द को जब भी याद किया .....गर्व से सर उठा ही पाया है
ख़ुशी क्यों बीत गयी .....इसी गम ने घेरा है
और बुरे वक़्त को हंसके हमने टाला है
बहुत ही बेहतरीन गहन भाव अभिव्यक्ति है...
ReplyDeleteखुशियाँ ऐसे भी होती हैं !!!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteगयी हुई खुशियाँ,
ReplyDeleteतस्वीर में कहाँ बांध कर रखी जा सकती है ,
वो तो और गहरा कर देती है ,उन खुशियों के गुजर जाने
के अहसास को........
यद्यपि खुशियां बांध कर नहीं रखी जा सकतीं,
लेकिन उनके गुजर जाने की याद में अनुभूत अहसास एक सुकून भी देता है।
कविता बढि़या है।
खुशी के पलों की यादें और भी खुशी दे जाती हैं।
ReplyDeletekas khushiyan bandhi ja sakatin.......bahut hi sundar post...badhai awanti ji.
ReplyDeleteमनुष्य को पता ही नहीं कि खुशी क्या है और उसका स्रोत क्या है। खुशी हमारे भीतर ही है,उसे कहीं बाहर से पाना नहीं है। उसे बाहर पाने की हर कोशिश नाकाम होनी ही है।
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबहुत खूब, बधाई.
Deleteबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ
Bahut Sunder Prastuti
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletenice post
ReplyDeletebahut hi sundar aur shandar post.
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे आये बहुत ही अच्छा लगा आपका बहुत बहुत हार्दिक अभिनन्दन है मेरे ब्लॉग पे बस आप असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहिये
ReplyDeleteजिसे मुझे उर्जा मिलती है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है बस असे ही लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
होली की हार्दिक सुभकामनाये
१.बेटी है गर्भ में गिराए क्या ??????
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_07.हटमल
2दो जन्म
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: जब इस्लाम मूर्ति पूजा के विरुद्ध है तो मुसलमान काब..
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_27.html
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ReplyDeletegahan abhiyakti,saral shabdo'n me'n............
ReplyDeletebahut sunder likha hai......
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण सचमुच!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !