Sunday 30 October 2011

शायद

एक उम्मीद जगी है मन में , शायद अब वो आयेगे!
फूल  खिलेगे हर डाली, भवरें अब  गीत   सुनायेगे!!
सनेह उमड़ कर दिल से जब,आँखों में भर जायेगा!
कैसे उन से बात करेगें,बस उन को  देखे जायेगे !!
हृदय की वीणा झंकृत हो कर जब संगीत सुनाएगी!
अरमानो  की  हर एक  डाली झूमेगी  और  गाएगी !!
अरमानो  के मौन स्वर को, वो सुन कर,समझ पायेगे?
मिल-जुल कर जब बैठेगे तो, बातों पर बाते होगी
कभी हँसेगे,मुस्कायेगें   तो कभी-२ नम आँखें  होगीं
और वो अपनी नम आँखे, हौले  से  सह्लायेगे 
एक उम्मीद जगी है मन में शायद अब वो आयेगे  


 ( पुरानी पोस्ट )

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