बहुत कठिन सफ़र पे जाना है , तैयार रहो कई पथ्थरों ने राह में आना है तैयार रहो अभी चाहो तो कदम पीछे हटा भी सकते हो चल पड़ोगे तो मंजिल को पाना है तैयार रहो रुके तो मन पछतायेगा, कोसोगे सदा खुद को मंजिल पर पहुचे तो ठोकर में जमाना है तैयार रहो
bahut khoob josh se bharee huyee kavitaa सोमवार, ११ अप्रैल २०११ निरंतर,आगे बढूंगा बहुत बहक चुका बहुत चहक चुका बहुत सह चुका कभी क्रोधित हुआ कभी खुश हुआ अब थक गया अब चुप रहूँगा खुद से बात करूंगा मंथन विचारों का करूंगा भूल सुधारूँगा नए जज्बे से फिर चलूँगा निरंतर,आगे बढूंगा 11-04-2011 650-83-04-11
आदरणीया अवन्ती सिंह जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण और बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में - काश बेटियों के मान और सम्मान में हर नारी और पिता आप सा सोचे ....और ये बेटियाँ हमारे समाज की भावी पीढ़ी को कल देश के निर्माण लायक बना दें शुभ कामनाएं भ्रमर ५
उत्साह बढ़ाती सुन्दर सीख देती रचना ...
ReplyDeleteबधाई हो ...
भ्रमर ५
चल पड़ोगे तो मंजिल को पाना है तैयार रहो
अवनति जी
ReplyDeleteउत्साहित करती अच्छी जोशीली रचना,
मरे नए पोस्ट पर आइये,...
bahut khoob josh se bharee huyee kavitaa
ReplyDeleteसोमवार, ११ अप्रैल २०११
निरंतर,आगे बढूंगा
बहुत बहक चुका
बहुत चहक चुका
बहुत सह चुका
कभी क्रोधित हुआ
कभी खुश हुआ
अब थक गया
अब चुप रहूँगा
खुद से बात करूंगा
मंथन विचारों का
करूंगा
भूल सुधारूँगा
नए जज्बे से फिर
चलूँगा
निरंतर,आगे
बढूंगा
11-04-2011
650-83-04-11
आदरणीया अवन्ती सिंह जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण और बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में -
ReplyDeleteकाश बेटियों के मान और सम्मान में हर नारी और पिता आप सा सोचे ....और ये बेटियाँ हमारे समाज की भावी पीढ़ी को कल देश के निर्माण लायक बना दें
शुभ कामनाएं
भ्रमर ५