Wednesday, 9 November 2011

शायद उस ने मुझ को तनहा देख लिया है!
दुःख ने मेरे घर का  रास्ता  देख  लिया  है!!

अपने आप से आँख चुराए फिरती हूँ मैं!
आईने में किस का चेहरा देख लिया है !!

उसने मुझे दरअसल कभी चाह ही नहीं था!
खुद  को  दे कर ये  भी धोका देख  लिया  है !!

रुखसत करने    के आदाब  निभाने  ही थे!
बंद आँखों से उस को जाता देख  लिया  है!!

शायद उस ने मुझ को तनहा देख लिया है!
दुःख ने मेरे घर का  रास्ता  देख  लिया  है! 
        


    WASEEM SHIGRI

1 comment:

  1. अपने आप से आँख चुराए फिरती हूँ मैं!
    आईने में किस का चेहरा देख लिया है !!
    bahut sundar aur bhavpurn rachna
    ke liye badhai...!

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