मुस्कराहट उधार की, ओढ़े घुमती है जिंदगी
झूठ के आईने में सच को ढूँढती है जिंदगी
पाँव में छाले हजारों, दर्द से कराहती है,और
रोजाना ही नए नृत्य में झूमती है जिंदगी
दिल की गहराई में सन्नाटा है और तन्हाई है
और बन कर महफिले बहार घुमती है जिंदगी
सांस थम जाये तो आ जाये इस को भी करार
पूरी उम्र से यूँ ही बेचैन ,बेकरार घुमती है जिंदगी
झूठ के आईने में सच को ढूँढती है जिंदगी
पाँव में छाले हजारों, दर्द से कराहती है,और
रोजाना ही नए नृत्य में झूमती है जिंदगी
दिल की गहराई में सन्नाटा है और तन्हाई है
और बन कर महफिले बहार घुमती है जिंदगी
सांस थम जाये तो आ जाये इस को भी करार
पूरी उम्र से यूँ ही बेचैन ,बेकरार घुमती है जिंदगी
kabhee rulaaye kabhee hansaaye
ReplyDeletenirantar nayee ichhayein jagaaye
yahee to hai zindgee
सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअवन्ति जी, आप मेरे ब्लॉग पर आयीं, स्वागत है, आपकी कविता भी बहुत सुंदर है...जिंदगी ऐसी है तभी तो खूबसूरत है...
ReplyDeleteबहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति, आपको नव-वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteमुस्कराहट उधार की, ओढ़े घुमती है जिंदगी
ReplyDeleteझूठ के आईने में सच को ढूँढती है जिंदगी
behtareen panktiyaN
रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteखुबसूरत रचना.....नववर्ष की शुभकामनायें.....
ReplyDeleteआप सब का दिल से धन्यवाद .....आप सब को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ........
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteवाह अवन्तिजी...बहुत ही सुन्दर...कशिश भरी रचना
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