Wednesday, 11 January 2012

सब ने कितना सराहा मुझे....

तुम्हारे सूखे,प्यास से भरे  हुए होंठ ,मैं देख नहीं पाती हूँ 
मैं पी जो रही हूँ जिंदगी के जाम भर भर के .........
तुम्हारे पेट की भूख का अहसास भी नहीं हो पाता मुझ को   
मेरे फ्रिज में भरा रहता है सामान ,मेरी शाही भूख को मिटने के लिए 

       तुम्हारे जिस्म की हड्डियां कैसे कांप जाती होगी तेज़ ठंड से ये मैं क्या जानू 
        सर्दियां मुझे तो एक उत्सव सी प्रतीत होती है ,महंगे और गर्म कपडे खरीदने
        और रोजाना उन्हें बदल बदल कर पहनने का उत्सव .............

हाँ कभी कभी खुद को अच्छा इंसान साबित करने की होड़ में ,मैं भी आती हूँ तुम्हारी 
गन्दी बस्ती में.    कुछ   पुराने   कपडे,  कुछ पैसे और   कुछ   ब्रेड   के   पैकेट   लेकर 
वो सामान तुम्हारे लोगों में बांटे हुए मैं फोटो खिचवाना कभी नहीं भूलती हूँ ..........
आखिर वो फोटों ही तो प्रमाणपत्र होते है ,मेरे सवेदनशील होना का .................


        और फिर , पार्टीस में  उन कपड़ों और ब्रेड के पैकेटों की संख्या से भी अधिक बार, मैं  दिखाती हूँ 
        वो फोटो ,जिन में मैं करुणा की देवी नजर आती हूँ  , मन ही मन खुद को खूब  सराहती हूँ ......
        रात को अपने नर्म मुलायम बिस्तर में लेटते हुए मैं गहरी   साँसें लेते हुए सोचती हूँ,इन गरीब लोगों 
      की   गरीबी का अहसास भले ही मुझे ना हो ,नहीं पता ये कितनी तकलीफ में जिंदगी गुज़ार रहे है

      पर हम भी रहम दिल लोग है ,सवेद्नाएं है हमारे पास भी ...................
     आज इंसान होने का फर्ज़ तो पूरा किया है मैं ने,सब ने कितना सराहा मुझे.....
       

10 comments:

  1. aaj andmaan nicobar mein jarawaa tribe ke saath aise hote video ko dekhaa,dil dukhee ho gayaa.
    aapke soch ko salaam bahut saarthak rachnaa ,saty kahaa hai aapne

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  2. यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....

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  3. अच्छी सोच की बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट...
    welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

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  4. संवेदनशील होने का प्रमाण पत्र....

    बहुत बढि़या लिखा है आपने।
    रचना बिलकुल नई भावभूमि पर रची गई है।

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  5. ज़रूरतमंद की किसी भी बहाने से गई सेवा अच्छी है. चाहे यह अहंकारपूर्ण और दिखावे के लिए ही क्यों न हो. कहीं पानी की कमी हो और कोई नेता वोटों के लिए पानी का टैंकर पहुँचा दे तो उसे भला कार्य ही कहेंगे. आपकी कविता संवेदनशीलता से भरी है.

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  6. यही तो बिल गेट्स जैसे धर्मात्मा कर रहे हैं॥

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  7. अच्छी सोच , संवेदनशील कविता.

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  8. Wah...bahut khub....

    Meri post pasand karne aur follow karne layak samajhne ke liye dhanyavaad...:-)
    Maine bhi follow kar hi liya aapko, kafi kuch padhne ko hai yahan, samay milte hi jarur padhunga...:-)

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  9. बड़ा ही तीक्ष्ण कटाक्ष.एक बड़ा वर्ग यही तो कर रहा है.बेहतरीन...

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