पितृ पक्ष
ये तुम्हारी तृप्ति के दिन है पितरों तुम्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे ,जीवन को सफल बनाए हम
लेकर श्रधा से सनेह-जल, मैं तुम को अर्पित करती हूँ
जो बन पाए उपहार मुझ से वो तुम्हे समर्पित करती हूँ
हे निराकरी,तुम परोपकारी,तुम सदा साहायक् हो, हो हितकारी
जो तुम ने दिए संस्कार . उन्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे,जीवन को सफ़ल बनाए हम
हे शूक्ष्म देह धारी,सद्बुध्धि देना हम को,हम रहे अह्न्कार से सदा परे
जो आदर्श-मूल्य दिए हम को,उन पर उतरे हम सदा खरे
रहे सदा निर्मल और शुद्ध-माना,सब बुराइयों से बच पाए हम
करे श्रधा.............
ये तुम्हारी तृप्ति के दिन है पितरों तुम्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे ,जीवन को सफल बनाए हम
लेकर श्रधा से सनेह-जल, मैं तुम को अर्पित करती हूँ
जो बन पाए उपहार मुझ से वो तुम्हे समर्पित करती हूँ
हे निराकरी,तुम परोपकारी,तुम सदा साहायक् हो, हो हितकारी
जो तुम ने दिए संस्कार . उन्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे,जीवन को सफ़ल बनाए हम
हे शूक्ष्म देह धारी,सद्बुध्धि देना हम को,हम रहे अह्न्कार से सदा परे
जो आदर्श-मूल्य दिए हम को,उन पर उतरे हम सदा खरे
रहे सदा निर्मल और शुद्ध-माना,सब बुराइयों से बच पाए हम
करे श्रधा.............
aap ki sab rachnaaye majn ne pahle bbhi pdi hai par yhan blog par jyada hi sundar dikha rhi hai sabhi rachnaye..
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