Sunday, 25 September 2011

पितृ पक्ष
ये तुम्हारी तृप्ति के दिन है पितरों तुम्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे ,जीवन को सफल बनाए हम
लेकर श्रधा से सनेह-जल, मैं तुम को अर्पित करती हूँ
जो बन पाए उपहार मुझ से वो तुम्हे समर्पित करती हूँ
हे निराकरी,तुम परोपकारी,तुम सदा साहायक् हो, हो हितकारी
जो तुम ने दिए संस्कार . उन्हे भूल ना जाए हम
करे श्रधा से तृप्त तुम्हे,जीवन को सफ़ल बनाए हम
हे शूक्ष्म देह धारी,सद्बुध्धि देना हम को,हम रहे अह्न्कार से सदा परे
जो आदर्श-मूल्य दिए हम को,उन पर उतरे हम सदा खरे
रहे सदा निर्मल और शुद्ध-माना,सब बुराइयों से बच पाए हम
करे श्रधा.............

1 comment:

  1. aap ki sab rachnaaye majn ne pahle bbhi pdi hai par yhan blog par jyada hi sundar dikha rhi hai sabhi rachnaye..

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